नाथ कृपा करि पूँछेहु जैसें। मानहु कहा क्रोध तजि तैसें।।
मिला जाइ जब अनुज तुम्हारा। जातहिं राम तिलक तेहि सारा।।
रावन दूत हमहि सुनि काना। कपिन्ह बॉंधि दीन्हे दुख नाना।।
श्रवन नासिका काटैं लागे। राम सपथ दीन्हें हम त्यागे।।
पूँछिहु नाथ राम कटकाई। बदन कोटि सत बरनि न जाई।।
नाना बरन भालु कपि धारी। बिकटानन बिसाल भयकारी।।
जेहिं पुर दहेउ हतेउ सुत तोरा। सकल कपिन्ह महँ तेहि बलु थोरा।।
अमित नाम भट कठिन कराला। अमित नाग बल बिपुल बिसाला।।
द्विबिद मयंद नील नल अंगद गद बिकटासि।
दधिमुख केहरि निसठ सठ जामवंत बलरासि।।५४।।
(दूत ने कहा) हे मालिक, जैसे कृपा कर आपने मेरी कुशलक्षेम पूछी है, क्रोध को त्यागकर वैसे ही कृपा कर हमारी बात भी मानें
जब आपका भाई जाकर मिला, तो पहुँचते ही श्रीराम ने उसे तिलक कर स्वागत किया
वानरों को जैसे ही पता चला कि हम रावण के दूत हैं, हमें बांधकर उन्होंने अनेक प्रकार से कष्ट पहुंचाये
नाक-कान काटने लगे तो श्रीराम की शपथ देने से हमें छोड़ा
आपने श्रीराम की जिस सेना के बारे में पूछा है, उसका बखान तो करोड़ों मुखों से भी नहीं किया जा सकता
जिसमें अनेक प्रकार के भालू-बंदर हैं, जो इतने विशाल व भयंकर हैं, कि देखकर ही डर लगे
जिसने किले (लंका) को जलाया, और आपके बेटे (अक्षय कुमार) को मारा, इतने बंदरों में केवल वही वहॉं बलशाली थोड़े ही है
असंख्य शक्तिशाली वीरों के नाम, जिनमें असंख्य नागों, हाथियों आदि का बल है, ऐसी विशाल सेना है
द्विविद, मयंद, नील, नल, अंगद, गद, विकटास्य,
दधिमुख, केसरी, निसठ, शठ और जामवंत जैसे वीरों की वहां बड़ी संख्या है।