सुंदरकाण्ड (दोहा-39)
तात राम नहिं नर भूपाला। भुवनेस्वर कालहु कर काला।। ब्रह्म अनामय अज भगवंता। ब्यापक अजित अनादि अनंता।। गो द्विज धेनु देव हितकारी। कृपा सिंधु मानुष तनुधारी।। जन रंजन भंजन खल ब्राता। बेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता।। ताहि बयरू तजि नाइअ माथा। प्रनतारति भंजन रघनाथा।। देहु नाथ प्रभ कहुँ बैदेही। भजहु राम बिनु हेतु सनेही।। सरन…