सुंदरकाण्ड (दोहा-52)
प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ। अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ।। रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने। सकल बॉंधि कपीस पहिं आने।। कह सुग्रीव सुनहु सब बानर। अंग भंग करि पठवहु निसिचर।। सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए। बॉंधि कटक चहु पास फिराए।। बहु प्रकार मारन कपि लागे। दीन पुकारत तदपि न त्यागे।। जो हमार हर नासा काना।…