सुंदरकाण्ड (दोहा-51)
सखा कही तुम्ह नीकि उपाई। करिअ दैव जौं होइ सहाई।। मंत्र न यह लछिमन मन भावा। राम बचन सुनि अति दुख पावा।। नाथ दैव कर कवन भरोसा। सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा।। कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।। सुनत बिहसि बोले रखुबीरा। ऐसेहिं करब धरहु मन धीरा।। अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई।…