सुंदरकाण्ड (दोहा-53)
तुरत नाइ लछिमन पद माथा। चले दूत बरनत गुन गाथा।। कहत राम जसु लंकां आए। रावन चरन सीस तिन्ह नाए।। बिहसि दसानन पूँछी बाता। कहसि न सुक आपनि कुसलाता।। पुनि कहु खबरि बिभीषन केरी। जाहि मृत्यु आई अति नेरी।। करत राज लंका सठ त्यागी। होइहि जव कर कीट अभागी।। पुनि कहु भालु कीस कटकाई। कठिन…