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Tag: पादुका

सुंदरकाण्ड (दोहा-42)

Posted on 2 October 2021 By दाढ़ीवाला No Comments on सुंदरकाण्ड (दोहा-42)

अस कहि चला बिभीषनु जबहीं। आयू हीन भए सब तबहीं।। साधु अवग्‍या तुरत भवानी। कर कल्‍यान अखिल कै हानी।। रावन जबहिं बिभीषन त्‍यागा। भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा।। चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं। करत मनोरथ बहु मन माहीं।। देखिहउँ जाइ चरन जलजाता। अरून मृदुल सेवक सुखदाता।। जे पद परसि तरी रिषिनारी। दंडक कानन पावनकारी।। जे पद…

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सुंदरकाण्ड
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